26 August 2016

भरोसा खुद पर रखो तो ताकत बन जाता है, और दूसरों पर रखो तो कमजोरी बन जाता है…

भरोसा खुद पर रखो तो ताकत बन जाता है,
और
दूसरों पर रखो तो कमजोरी बन जाता है…

क्या हम अपने ऑफिस का काम अपने Boss के लिए करते हैं या अपने को निखारने या अपने विकास के लिए करते हैं ?
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एक बहुत ही महत्वपूर्ण प्रश्न हमारे सामने आता है :-

हम कभी कभी या बहुत बार, नहीं नहीं हर वक़्त यही सोचते रहते हैं कि अगर हम नौकरी में अपना 100% अपने ऑफिस को देंगे तो उससे तो employer बढ़ेगा, उसका फायदा होगा, पर हमें क्या मिलेगा क्योँकि हम तो सारा का सारा काम अपने employer के लिए कर रहे हैं.

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मित्रों यहाँ पर हम बहुत ही बड़ी गलती करते हैं, जैसे कि 
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1. हम खाना खाते हैं - किसके लिए - अपने लिए.
2. हम पढ़ते हैं - किसके लिए - अपने लिए.
3. हम खेलते हैं  - किसके लिए - अपने लिए.
4. हम सोते हैं - किसके लिए - अपने लिए.
5. हम सीखते हैं - किसके लिए - अपने लिए.

        
मित्रों अब एक बहुत ही महत्वपूर्ण प्रश्न उठता है कि जब हम सब कुछ अपने लिए करते हैं तो "हम नौकरी किसी और के लिए कैसे कर सकते हैं", ये बात कुछ समझ से परे है.

मित्रों मान कर चलिए "नौकरी हम किसी और के लिए नहीं अपितु अपने लिए" करते हैं.

एक बात हम सभी जानते हैं कि इंसान जिंदगी भर, मरते दम तक सीखता रहता है, क्योँ न हम भी नौकरी लगने के बाद यही मानें कि हम अपनी कंपनी में ट्रेनिंग कर रहे हैं और इस ट्रेनिंग के दौरान हमें सैलरी भी मिल रही है. 

इससे सबसे बड़ा फायदा यह होगा ही हम हमेशा सीखने वाली स्थिति (Learning Mode) में रहेंगे और दिमाग में ये रखते हुए की employer हमें सीखाने के साथ साथ पैसे भी दे रहा है. 

हम तो जिंदगी भर ये समझें कि employer ने हमें ट्रेनिंग के लिए एक महँगा ऑफिस या फैक्ट्री खोल कर दे रखी है, जिसे हम नहीं खोल सकते हैं, या हम risk नहीं ले सकते (मित्रों ये बात हमें स्वीकार करनी ही पड़ेगी). 

मित्रों ये सोचना बिलकुल गलत है कि हम किसी और के लिए काम कर रहे हैं. ऐसा सोच कर हम अपनी progress को रोक लेते हैं क्योँकि हमारा दिमाग कहता है की हमारे करने से किसी दूसरे यानि employer का फायदा हो रहा है (मनुष्य का स्वभाव होता है की वह दूसरों को बढ़ते हुए नहीं देख सकता,चाहे हम बातें कुछ भी करते रहें) और इस सोच को लेकर हम जिस जगह होते हैं, उसी जगह रह जाते हैं.

मित्रों अगर कभी भी हम अपनी नौकरी से संतुष्ट न हों तो तुरंत दूसरी नौकरी कर लेनी चाहिए या अपना खुद का बिज़नस. उसी जगह पर "नौकरी भी कर रहे हैं और अपने employer को कोस" भी रहे हैं तो इसका मतलब है

"हम कमजोर हैं न की employer".

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मित्रों ये बात हमेशा ध्यान रखिये कि जिस भी दिन हमारे मुँह से अपने employer के लिए नकारात्मक वाक्य आने शुरू हो जाते हैं उसी दिन से हमारे उस ऑफिस में काम सीखने की क्षमता कम होने लगती है और उसके बाद जितना ज्यादा समय तक हम उस ऑफिस में रहेंगे, 

मान कर चलिए हम अपने साथ साथ, सबसे पहले अपनी पूरी फैमिली को भी नकारात्मक बनाएंगे और अपनी खुद की productivity को भी कम करते चले जायेंगे. 

ये सोच कर कि Boss का विकास हो रहा है, "हम अपना विकास ठप्प कर रहे हैं". Boss तो आज नहीं तो कल, दूसरा employee रख लेगा, पर उतने समय जो हमने अपनी negative सोच रख कर पूरे मन से काम नहीं किया उसका भूकतान कौन करेगा, जरा सोचिये.     
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हम कभी भी इस गलत फहमी में न रहें की हमारे उस ऑफिस या फैक्ट्री में काम न करने से employer का कुछ बिगड़ने वाला है.

अगर employer का कुछ बिगड़ेगा तो उनकी अपनी गलती से, न की हमारे काम न करने की वजह से, ये बात हमें हमेशा के लिए गाँठ बांध कर रखनी होगी.
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मित्रों अपने पर भरोसा रखो. जिंदगी में कोई ऐसा काम नहीं जो इंसान न कर सकता हों. अपनी नाकामी का ठिकड़ा दूसरों पर फोड़ने का मतलब है, अपने को इस दुनिया के सामने दीन हीन की दशा में लाना.

मित्रों, Never blame others for your failures.
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इसलिए मित्रों :


1. हम खाना भी अपने लिए खाते हैं.
2. हम पढ़ते भी अपने लिए हैं.
3. हम खेलते भी अपने लिए हैं.
4. हम सोते भी अपने लिए हैं.
5. हम सीखते भी अपने लिए हैं.
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और और और ..... 
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हम काम भी अपने लिए ही करते हैं, किसी और के लिए नहीं (ये बात हमेशा ध्यान रखिये).          
किसी ने सही कहा है :

भरोसा खुद पर रखो तो ताकत बन जाती है,
और
दूसरों पर रखो तो कमजोरी बन जाती है…

जरुर पढ़ें :-

साभारः Self Motivation

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17 August 2016

हमारे बोले गए शब्द 1000 गुना शक्तिशाली बन कर ब्रम्हाण्ड के शब्द बन सकते हैं पर .......

Most Inspiratioanl Post in Hindi


(A) हमारे बोले गए शब्द 1000 गुना शक्तिशाली बन कर ब्रम्हाण्ड के शब्द बन सकते हैं पर .......
(B) हम परेशान रहते हैं कि कोई हमारी बात सुनता क्योँ नहीं ?

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हम अपने बोले गए शब्दों को 1000 गुना शक्तिशाली बना कर ब्रम्हाण्ड के शब्द बना सकते हैं अगर, अगर, अगर हम अपने द्वारा बोले गए शब्दों को बोलने से पहले उन पर खुद अमल कर रहे हैं तो.

  1. Jokes in Hindi - Part 1 !
  2. Jokes in Hindi - Part 2 !
  3. कुछ सुपरहिट फिल्मों की सुपरहिट गलतियाँ !
  4. फेमस क्रिकेटरों की पत्नीं !
  5. बाल कहानी- छोटी सी बात !

कुछ उदाहरण लेते हैं, जैसे निम्नलिखित शब्दों का दूसरों (हमारे घर के माता, पिता, बच्चे, पत्नी, पति, अड़ोसी, पड़ोसी, रिस्तेदार, दोस्त, यार, students, इत्यादि) पर कोई असर नहीं पड़ने वाला :-

(1) अगर हम खुद झूठ बोलते हैं और दूसरों को झूठ न बोलने के लिए कह रहे हैं.
(2) अगर हम खुद सुबह नहीं उठ रहे हैं और दूसरों को सुबह उठकर पढ़ाई या exercise करने के लिए कह रहे हैं.
(3) अगर हम खुद नशा (बीड़ी, सिगरेट, तम्बाकू, दारू) कर रहे हैं और दूसरों को इनसे दूर रहने के लिए कह रहे हैं.
(4) अगर हम खुद अपनी knowledge बढ़ाने के लिए कुछ नहीं कर रहे हैं और दूसरों को knowledge बढ़ाने या पढ़ाई करने के लिए कह रहे हैं.
(5) अगर हम खुद दूसरों की बुराई करते हैं और दूसरों को किसी की बुराई न करने के लिए कह रहे हैं.


मित्रों इसी तरह के हजारों example हमारी जिंदगी में रोज घटते हैं और हम परेशान रहते हैं कि कोई भी (हमारे घर के माता, पिता, बच्चे, पत्नी, पति, अड़ोसी, पड़ोसी, रिस्तेदार, दोस्त, यार, students, इत्यादि) हमारी बात सुनता क्योँ नहीं ?,

मित्रों जब हम वो काम खुद कर रहे हैं और दूसरों को उसका उल्टा करने के लिए कह रहे हैं, तो हम अपने "शब्दों में वो तरंगे पैदा नहीं कर पाते" जिससे की हमारे "शब्द 1000 गुना शक्तिशाली बने."

थोड़ा सा विस्तार में इसे समझते हैं :-
एक बार एक औरत अपने बच्चे को एक महात्मा के पास ले कर गई और बोला की महात्मा जी "ये बच्चा चीनी बहुत खाता है, आप इसे चीनी खाने से मना करो." महात्मा ने कहा कि अगले हफ्ते आना. अगले हफ्ते वो महिला फिर से उस बच्चे को ले कर उस महात्मा के पास गई और बोली कि महात्माजी इस बच्चे को आप "चीनी खाने से मना करो." महात्मा ने तुरंत बच्चे को चीनी खाने से मना किया और चीनी ज्यादा खाने के अवगुण भी बताये. तब उस महिला ने महात्मा से पूछा कि "यही बात आप पिछले हफ्ते भी तो कह सकते थे." तब उन महात्मा ने कहा कि "पिछले हफ्ते तक मैं भी चीनी बहुत खाता था, तब कैसे मैं इस बच्चे को उस काम के लिए मना कर सकता था. अब क्योँकि मैंने चीनी खानी बिलकुल छोड़ दी है, अब मैं इस बच्चे को क्या पूरी दुनिया को चीनी न खाने के लिए कह सकता हूँ, क्योँकि अब मेरे द्वारा बोले जाने वाले "शब्दों में तरेंगे पैदा हो गई है" और उनमें "1000 गुना ताकत के साथ साथ ब्रम्ह की ताकत" भी समा गई है.

मित्रों ध्यान रहे जिसको भी हम कोई भी बात बोलते हैं तो सबसे पहले वो हमें अच्छी तरह से, जी हाँ अच्छी तरह से scan करके ये देखता है कि ये व्यक्ति बोलने से पहले बोली गई बातों में खुद भी अमल कर रहा है की नहीं. उसके सामने वाले को "सृस्टि द्वारा निर्मित automatic system" से "बोले गए शब्दों के भाव से ही तरंगे" आने या न आने का पता चल जाता है.

"इसका बहुत बढ़िया उदहारण हम सब लोग स्कूल, कॉलेज में भी देख सकते हैं कि जब एक ही subject के एक ही chapter को दो अलग अलग टीचर पढ़ाते हैं तो पढ़ाई गई चीज का असर हमारे ऊपर कैसा पड़ता है."

इसी प्रकार मित्रों, जब कभी भी हम अपने जीवन में किसी को कोई बात बोलें तो ये ध्यान रहे कि हम उस बात पर पूरा अमल करते हों, अन्यथा "बोले गए शब्द" बेकार हैं, उनका कोई औचित्व नहीं.

हम अपने "शब्दों में 1000 गुनी ताकत" दें सकते हैं पर हम जो भी बोलें, उन बातों पर हमें खुद भी अमल करना ही करना होगा.

मित्रों शब्द वही - पर अंतर 1000 गुना का. अगर उन्हीं शब्दों को कोई "उस बात को अमल करने वाला बोले" और "उस बात को अमल न करने वाला बोले" तो .


क्या हमारे ऊपर महापुरुषों की बातों का असर नहीं होता. जी हाँ, बिलकुल होता है. पर उनकी हर बात का असर नहीं होता. हमारे ऊपर उनकी उन्ही बातों का असर होता है जिन बातों पर उन्होंने खुद अमल किया हो. पर जिन बातों पर इन्होंने भी अमल नहीं किया और बोला हो, तो मित्रों मान कर चलिए उन बातों का हम लोगों के ऊपर कभी भी कोई असर नहीं होता.

किसी ने सही कहा है :

"शब्दों" की ताकत तो "बोलने की तरंगों" के भाव से पता चलती है...
वर्ना Welcome तो पैर पोंछने के पायदान पर भी लिखा होता है...

जरुर पढ़ें :-

साभारः Self Motivation

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2 August 2016

निराशा से निकलने और खुद को Motivate करने के 16 तरीके

निराशा से निकलने और खुद को Motivate करने के 16 तरीके

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1. One Goal एक लक्ष्य

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जब भी मैं थोडा Down हुआ हूँ , मैंने पाया है कि अक्सर ऐसा इसलिए होता है क्योंकि मेरी Life में एक साथ बहुत कुछ चल रहा होता है. मैं बहुत कुछ करने की कोशिश कर रहा होता हूँ. और ये मेरी Energy और Motivation को ख़तम कर देता है. शायद ये सबसे Common Mistake है जो लोग करते हैं: वो एक साथ बहुत कुछ करने की कोशिश करते हैं. यदि एक समय में दो या उससे अधिक लक्ष्य Achieve करने का प्रयास करते हैं तो आप अपनी ( लक्ष्य पाने के लिए दो सबसे महत्त्वपूर्ण चीजें ) Energy और Focus बनाये नहीं रख पाते. ये संभव नहीं है &Ndash; मैंने कई बार कोशिश की है. आपको अभी के लिए कोई एक लक्ष्य चुनना होगा, और पूरी तरह से उसपर Focus करना होगा. मुझे पाता है ये कठिन है, पर मैं अपने Experience से बता रहा हूँ. एक बार आप अपना अभी का निर्धारित लक्ष्य प्राप्त कर लें फिर उसके बाद आप अपने बाकी लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं.


2. Find Inspiration प्रेरणा खोजिये

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मुझे उन लोगों से प्रेरणा मिलती है जिन लोगों Already वो Achieve कर लिया है जो मैं करना चाहता हूँ, या वो लोग जो वही कर रहे हैं जो मैं करना चाहता हूँ. मैं औरों के Blogs, Books,Magazines पढता हूँ. मैं अपने Goals को Google करता हूँ , और Success Stories पढता हूँ. Zen Habits ऐसी ही जगहों में से एक है, सिर्फ मुझसे ही नहीं बल्कि अन्य कई Readers से जिन्होंने अद्भुत चीजें प्राप्त की हैं.

3. Get Excited उत्साहित होइए


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ये सुनने में बहुत Obvious सी बात लगती है, पर ज्यादातर लोग इस बारे में अधिक नहीं सोचते हैं: अगर आप निराशा से निकलना चाहते हैं, तो किसी लक्ष्य के लिए उत्साहित हो जाइये. पर अगर आप Motivated नहीं Feel करते हैं तो आप Excited कैसे Feel करेंगे? Well, इसकी शुरुआत दूसरों से प्रेरणा लेकर होती है, लेकिन आपको दूसरों से उत्साह लेकर उसे अपनी उर्जा में बदलना होगा.मैंने पाया है कि मैं अपनी Wife और अन्य लोगों से बात करके, इस बारे में ज्यादा से ज्यादा पढ़कर, और इसे Visualize (दिमाग में Goal Achieve करने से होने वाले फायदे को देखना ) करके कि Successful होना कैसा लगेगा, Excited Feel करने लगता हूँ. एक बार ये कर लिया तो बस इसी Energy को आगे Carry करने और आगे बढ़ने की ज़रुरत रहती है.

4.Build Anticipation अपेक्षा करें

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ये सुनने में कुछ कठिन लग सकता है, और अकी लोग इस Tip को Skip कर देंगे. लेकिन ये सचमुच काम करती है. कई बार असफल प्रयासों के बाद इसी टिप की वजह से मैं Cigarette पीना छोड़ पाया.अगर आपको अपना Goal Achieve करने की प्रेरणा मिल जाती है तो तुरंत उसे प्राप्त करने का प्रयास ना करें. हममें से कई लोग Excited होके आज ही अपना काम शुरू करना चाहेंगे. ये एक गलती है. Future की कोई Date Set कीजिये &Ndash; एक या दो हफ्ते बाद , या एक महीना भी &Ndash; और उसे अपनी Start Date बनाइये. उसे कैलेण्डर पर Mark कर लीजिये. उस Date को लेकर उत्साहित होइए. उसे अपने जीवन की सबसे Important Date बना लीजिये. इस बीच अपना प्लान बनाइये. और नीचे दिए गए कुछ Steps Follow कीजिये. क्योंकि अपनी Start Delay करके आप Anticipation Build करते हैं और अपने लक्ष्य के प्रति अपनी उर्जा और ध्यान बढाते हैं.


5. Post Your Goal अपना लक्ष्य प्रकाशित करें

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अपने Goal का एक बड़ा सा Print निकाल लें. अपना लक्ष्य कुछ ही शब्दों में लिखें , जैसे कोई मन्त्र (&Ldquo;Exercise 15 Mins. Daily&Rdquo;), और उसे अपने दीवार या फ्रिज पर चिपका दें. इसे अपने घर में अपने Office में लगा लें उसे अपने Computer के Desktop पर लगा लें. आप अपने Goals के लिए बड़े Reminders लगाना चाहते हैं , ताकि आप अपने Goal पर Focus कर पाएं और उसे लेकर Excited रह पाएं. अपने Goal से सम्बंधित कोई Picture लगाना भी Helpful हो सकता है (Like A Model With Sexy Abs, For Example).


6.Commit Publicly सार्वजनिक रूप से प्रतिज्ञा लीजिये

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कोई भी दूसरों के सामने बुरा नहीं दिखना चाहता है . जो बात हमने Publicly कही है उसे करने के लिए हम Extra Effort करते हैं. For Example, जब मैं अपनी पहली मैराथन दौड़ दौड़ना चाहता था , तब मैंने अपने Local Newspaper में इस बारे में एक Column लिखना शुरू कर दिया. Guam की पूरी आबादी मेरे इस Goal के बारे में जान गयी. अब मैं पीछे नहीं हट सकता था , हालांकि मेरी Motivation कम -ज्यादा होती रही पर मैं इस Goal को पकडे रहा और दौड़ Complete की.आपको किसी Newspaper में अपना Goal Commit करने की ज़रुरत नहीं है , पर आप इसे अपने Family,Friends, और Co-Workers से बता सकते हैं, और यदि आपका कोई Blog है तो उसपर भी इस बारे में लिख सकते हैं.और खुद को जिम्मेदार ठेराइये &Ndash; केवल एक बार Commit मत करिए , बल्कि अपने Progress के बारे में सभी को हर हफ्ते या महीने Update करने के लिए भी Commit करिए.

7. Think About It Daily इस बारे में रोज़ सोचिये

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यदि आप रोज़ अपने लक्ष्य के बारे में सोचते हैं तो उसके पूर्ण होने की संभावना कहीं अधिक है. इसीलिए अपने लक्ष्य को दीवार पर या Desktop पर लगाना मददगार होता है . हर रोज़ खुद को Reminder भेजना भी Helpful होता है. और अगर आप रोज बस पांच मिनट भी ये छोटा सा काम करेंगे तो ये लगभग तय है की आपका लक्ष्य पूर्ण होगा.


8. Get Support. मदद लीजिये


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अकेले कुछ हांसिल करना कठिन होता है. जब मैंने मैराथन में दौड़ने का निश्चय किया था , तो मेरे साथ दोस्तों और परिवार का Support था, और साथ ही Guam में दौड़ने वालों की एक अच्छी Community भी थी जो मेरे साथ दौड़ते थे और मुझे Encourage करते थे. जब मैंने Smoking Quit करनी चाही तो मैंने एक Online Forum Join कर लिया , जो मेरे लिए बहुत Helpful रहा. और इस काम में मेरी Wife Eva ने हर कदम पर मेरा साथ दिया. मैं उसकी और अन्य लोगों की मदद के बिना ऐसा नहीं कर पाता. अपना Support Network खोजिये , अपने आस-पास या Online या दोनों जगह.

9. Realize That There&Rsquo;S An Ebb And Flow इस बात को समझिये की उतार-चढ़ाव आते रहते हैं


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Motivation कोई ऐसी चीज नहीं है जो हमेशा आपके साथ रहे. ये आती है , जाती है और फिर आती है, ज्वार की तरह . इस बात को समझिये की भले ही ये चली जाए , पर वो हमेशा के लिए नहीं चली जाती . Motivation वापस आती है. बस अपने लक्ष्य से जुड़े रहिये और Motivation के वापस आने का इंतज़ार कीजिय. इस दौरान अपने लक्ष्य के बारे में पढ़िए , दूसरों से मदद मांगिये , और यहाँ बताई अन्य कुछ चीजें कीजिये जब तक की आप का Motivation वापस ना आ जाये.

10. Stick With It. लगे रहिये


आप चाहे जो कुछ भी करिए , पर हार नहीं मानिए. भले आप आज या इस हफ्ते बिलकुल ही Motivated ना Feel कर रहे हों , पर अपना लक्ष्य छोड़िये नहीं. आपकी Motivation फिर वापस आएगी . अपने लक्ष्य को एक लम्बी यात्रा की तरह देखिये , और बीच में जो Demotivation आता है वो महज़ एक Speed-Breaker है. छोटी मोती बाधाएं आने पर आप यात्रा नहीं छोड़ते. लम्बे समय तक अपने लक्ष्य के साथ जुड़े रहिये , उतार-चढ़ाव पार कीजिये और आप वहां पहुँच जायेंगे.


11.Start Small. Really Small छोटे, बहुत छोटे से शुरुआत कीजिये

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अगर आपको शुरुआत करने में दिक्कत हो रही है तो शायद इसकी वजह ये है की आप बहुत बड़ा सोच रहे हैं. यदि आप व्यायाम करना चाहता हैं, तो शायद आप सोच रहे हों की हफ्ते में पांच दिन Intensely Workout करना है. नहीं &Ndash; इसकी जगह छोटे-छोटे Baby Steps लीजिये. सिर्फ दो मिनट व्यायाम कीजिये. मुझे पता है ये आपको अटपटा लग रहा होगा. ये इतना आसान है, आप Fail नहीं हो सकते. पर आप इसे करिए . बस कुछ Crunches, 2 Pushups, और वहीँ थोड़ी सी Jogging. जब आपने एक हफ्ते तक ये २ मिनट तक कर लेंगे , तो इसे बढाकर पांच मिनट कर दीजिये , और एक हफ्ते तक इसे कीजिये. एक महीने में आप 15-20 मिनट करने लगेंगे. सुबह जल्दी उठाना चाहते हैं ? सुबह पांच बजे उठने का मत सोचिये, इसकी जगह आप एक हफ्ते तक बस 10 मिनट पहले उठिए . एक बार आपने ये कर लिया , तो 10 मिनट और जल्दी उठिए. Baby Steps.


12.Build On Small Successes छोटी छोटी उपलब्धियों के साथ आगे बढिए


एक बार फिर , अगर आप एक हफ्ते तक छोटे लक्ष्य के साथ शुरू करेंगे तो आप सफल होंगे. अगर किसी बेहद आसान चीज से शुरुआत करेंगे तो आप Fail नहीं हो सकते. भला कौन दो मिनट तक Exercise नहीं कर सकता? ( यदि आप वो हैं, तो मैं माफ़ी मांगता हूँ) और आप Successful Feel करेंगे , आपको अन्दर से अच्छा लगेगा. इसी Feeling के साथ और छोटे-छोटे Steps लेते जाइये . For Example : अपनी Exercise Routine में दो-तीन मिनट Add करिए. हर एक Step के साथ (और हर स्टेप कम से कम एक हफ्ते चलना चाहिए), और आप और भी Successful Feel करेंगे. हर एक स्टेप बहुत बहुत छोटा रखिये और आप Fail नहीं होंगे. दो महीने बाद , आपके छोटे छोटे कदम आपको बहुत सारी Progress और Success दिलाएंगे


13.Read About It Daily. रोज़ इसके बारे में पढ़ें

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जब मैं अपना Motivation Lose करता हूँ , मैं अपने लक्ष्य से सम्बंधित कोई किताब या ब्लॉग पढता हूँ. ये मुझे प्रेरित करता है और मुझे दृढ बनता है. किसी वजह से आप जो कुछ भी पढ़ते हैं वो आपको उस विषय में प्रेरित करता है और आपका ध्यान केन्द्रित करने में मदद करता है. इसलिए अगर आप पढ़ सकते हैं तो रोज़ अपने लक्ष्य के बारे में पढ़िए , खासतौर से तब जब आप Motivated ना Feel कर रहे हों.


14.Call For Help When Your Motivation Ebbs जब प्रेरणा कम हो तब मदद मांगिये



समस्या है? मदद मांगिये. मुझे Email करिए. कोई Online Forum Join करिए. अपने लिए कोई Partner खोजिये. अपनी माँ को Call कीजिये. इससे मतलब नहीं है की सामने वाला कौन है , बस अपनी समस्या बताइए , इस बारे में बात करना आपके लिए Helpful होगा. उनकी Advice मांगिये . उनसे आपको Demotivated State से निकालने के लिए मदद करने के लिए कहिये. ये काम करता है.

15.Think About The Benefits, Not The Difficulties. फायदों के बारे में सोचिये परेशानियों के बारे में नहीं

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एक Common Problem है कि हम ये सोचते हैं कि कोई चीज कितनी कठिन है . Exercise करना बहुत कठिन लगता है ! इसके बारे में सोचना ही आपको थका देता है.पर ये सोचना कि बजाये की कोई चीज कितनी कठिन है , ये सोचिये की उसके कितने फायदे हैं. For Example, ये सोचने की जगह कि व्यायाम करना कितना कठिन है;आप ये सोचिये की ये करने के बाद आप कितना अच्छा Feel करेंगे, और Long Run में आप कितने Healthier और Slimmer होंगे. किसी चीज के फायदे आपको Energize कर देंगे.


16.Squash Negative Thoughts; Replace Them With Positive Ones. नकारात्मक विचारों को त्यागिये और उन्हें सकारात्मक विचारों से बदल दीजिये


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29 July 2016

दुनिया में आये है कुछ कर दिखाएंगे - Inspirational Post in Hindi

दुनिया में आये है कुछ कर दिखाएंगे,
पत्थर को भी ज़िंदादिल बनायेंगे.
जहाँ तक जायेगी ये नजर,
हर दिल में शमा जलायेंगे.

"अस्थायी समस्या (Temporary Problem)" या "स्थायी समस्या ( Permanent Problem)
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Inspirational-Post-in-Hindi-Duniya-Me

जब हम अपने सपनों को अपनी "अस्थायी समस्याओं" (Temporary Problems) के सामने समर्पण कर देते हैं, तब हम अपने जीवन की स्थायी हार (Permanent Defeat) की तरफ बढ़ते हैं. एक रिसर्च के अनुसार, 99% बार हम अपने को जिंदगी की "अस्थायी समस्याओं" के सामने समर्पण कर ही देते हैं.
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समस्याएं आएंगे और जाएँगी, कोई भी इस दुनिया में बिना समस्याओं का नहीं है. इसलिए अपने सपनों को हमेशा सबसे ऊपर रखिये, उनको मरने मत दीजिये, चाहे कितनी ही बड़ी समस्या हो, बस थोड़ा सा उसे "अस्थायी समस्या (Temporary Problem)" या "स्थायी समस्या ( Permanent Problem) का अंतर समझते हुए बड़े नजरिये से देखने की जरुरत है.
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26 July 2016

अपनी जिंदगी में "कर्मों का तूफ़ान" पैदा करो !

अपनी जिंदगी में "कर्मों का तूफ़ान" पैदा करो,
भाग्य के रास्ते अपने आप खुल जायेंगे

Karmon-Ka-Tufaan-Hindi-Self-Motivatiion
Karmon-Ka-Tufaan-Hindi-Self-Motivatiion


1. "कर्म करो, फल की इच्छा मत करो."
2. "हमारी सफलता हमारे द्वारा किये गए "कार्य के पीछे की नियत" पर निर्भर करती है....."

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1. "कर्म करो, फल की इच्छा मत करो" :- 


धर्म का अर्थ होता है कर्तव्य. हमारे ग्रंथों ने कर्त्तव्य को ही धर्म कहा है. हमें भी जीवन में अपने कर्त्तव्य को पूरा करने में कभी भी ये नहीं सोचना है कि ये कर्त्तव्य करने से हमारा नाम होगा या बेइजत्ती, हमारा फायदा होगा या नुकसान. अपने मन को सिर्फ और सिर्फ अपने कर्तव्य पर टिकाकर काम करना है. इससे हमें अपनी "जिंदगी के सबसे बढ़िया परिणाम" मिलेंगे और सबसे बड़ी बात हम काफी बिमारियों से मुक्त रहेंगे. हमारे बीमार पड़ने के सबसे बड़े कारणों में से एक है, हमारा अपने "कर्तव्यों को करने से पहले उसके फायदे या नुकसान के बारे में सोचकर कार्य करना".

चलिए जरा कुछ उदाहरण लेते हैं :-



1. स्कूल या कॉलेज में पढ़ाई पर कम और कितने नंबर आएंगे, इस पर ज्यादा ध्यान देते हैं.

2. अपने ऑफिस में काम में पूरा ध्यान न लगा कर, हमारी सैलरी कितनी और कब बढ़ेगी, इस पर ज्यादा ध्यान देते हैं.

3. बिज़नेस में पूरा ध्यान ग्राहक की सेवा में न लगा कर, साल के आखिर में कितना मुनाफा होगा, इस पर ज्यादा ध्यान देते हैं.

4. राजनीति में एक बार जीतने के बाद, काम करने की जगह, पहले दिन से ही अगली बार का टिकट मिलेगा की नहीं, इस पर ज्यादा ध्यान देते हैं.
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मित्रों शुरू से ही "अपनी पसंद के परिणाम की इच्छा" हमारे अंदर नकारात्मक भाव पैदा करती है और फिर हम हर वक़्त अपने कर्त्तव्य यानि कार्य को न कर अपनी "पसंद के परिणाम" पर ही "ध्यान केंद्रित" कर देते हैं और अपने को "धीरे धीरे कमजोर" करते हैं.


गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने यही कहा है - "कर्म करो, फल की इच्छा मत करो" और "कर्म ही पूजा है."

2. मित्रों हमें इससे भी महत्वपूर्ण बात, "किसी भी कार्य को करने के पीछे की नियत" को भी समझना होगा, जी हाँ किसी भी कार्य (चाहे छोटा हो या बड़ा).


अगर पहले से ही हमारी नियत गलत है और हमने वो कार्य शुरू कर दिया तो पहले से ही समझ लीजिएगा कि वो कार्य शुरू होकर चलने तो लग जायेगा पर बहुत आगे तक नहीं जा सकता. जैसे :- 

(a) अगर हम "स्कूल/ कॉलेज" में पढ़ाई "अपना भविष्य बनाने की नियत से नहीं" अपितु "अपने दोस्तों को दिखाने की नियत" से कर रहें हैं तो हम बहुत ज्यादा सफल नहीं हो पाएंगे.

(b) अगर हम "ऑफिस" में काम "खुद को सीखने की नियत से नहीं" अपितु "अपने बॉस को खुश करने की नियत" से कर रहे हैं तो भी हम अपनी जिंदगी में बहुत ज्यादा सफल नहीं होंगे.

(c) अगर हम "बिज़नेस" अपने को "बढ़ाने की नियत से नहीं" अपितु "अपने प्रतिद्वंद्वीयों को गिराने" के लिए कर रहे हैं तो भी हम बिज़नेस में बहुत ज्यादा सफल नहीं होंगे. 

(d) अगर हम "राजनीति "समाज को बढ़ाने की नियत से नहीं" अपितु "अपने को बढ़ाने" के लिए कर रहे हैं तो भी हम एक दिन नीचे आएंगे ही आएंगे.

मित्रों जब हम कोई भी "काम सिर्फ दूसरों को दिखाने या दूसरों को गिराने की नियत" से करते हैं तो हम दूसरों के "सोच के जाल" "(Trap of Thinking)" में फंस जाते हैं और तब हमारी "अपनी सोच बंद" हो जाती है और हम "दूसरों की सोच के इर्द गिर्द ही घूमते घूमते" अपनी सारी की सारी जिंदगी गुजार देते हैं.

इसलिए मित्रों आप सभी से नम्र निवेदन है की जिंदगी जीनी है, तो, "किसी को भी गिराने की सोच से कोई काम मत करो" और "अगर हमने ये किया, तो समझ लीजिएगा कि जब उस काम की "शुरूआत ही गलत नियत" से हुई है, तो, हमें जिंदगी में "सफलता मिलने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता."

ये बात भी भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में हमें "समझाकर", "सचेत रहने" के लिए कहा है कि "हमारी सफलता कार्य के पीछे की नियत पर ही निर्भर करती है."

मित्रों अगर हम "अपना धर्म यानि कर्त्तव्य यानि कर्म" "बिना किसी फल की इच्छा के साथ करेंगे" और "किसी भी कार्य को करने से पहले "निस्वार्थ नियत" को साथ रखेंगे" तो मान कर चलिए हमको किसी भी "कर्म के" "सबसे बेहतर, जी हाँ सबसे बेहतर फल मिलेंगे, इसमें कोई संशय नहीं.

किसी ने बिलकुल सही कहा है :-

अपनी जिंदगी में "कर्मों का तूफ़ान" पैदा करो,
भाग्य के रास्ते अपने आप खुल जायेंगे ......

जरुर पढ़ें :-

साभारः Self Motivation

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20 June 2016

भगवान के अवतार - Motivational Post in Hindi

भगवान के अवतार - Motivational Post in Hindi

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कुछ करना है, तो डटकर चल,
थोड़ा दुनिया से हटकर चल,
लीक पर तो सभी चल लेते है,
कभी इतिहास को पलटकर चल.


"भगवान के अवतार"
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दर्पण जब चेहरे पर दाग दिखाता है, तो क्या हम दर्पण तोड़ देते हैं, नहीं हम उस दाग को साफ़ करके अपने को निखारते हैं, उसी प्रकार जब कोई हमें हमारी कमी गिनाता है तो क्या हम क्रोध कर, उससे सम्बन्ध तोड़ दें या फिर अपनी कमियों को दूर करके अपने को निखारें. सोच है हमारी, आखिर व्यक्तित्व है हमारा.

"धन्य मानिये अपने को, जो हमारी जिंदगी में कमियां बताने वाले कुछ लोग होते हैं."

जिस प्रकार अर्जुन के कई बार निराश होने पर श्री कृष्ण अर्जुन की गलतियां भी बताते हैं और उनको दूर करने का तरीका भी बताते हैं, तो क्या अर्जुन ने श्री कृष्ण से रिश्ते तोड़ लिए, नहीं, अर्जुन ने अपने को संवारा, निखारा. मित्रों उस वक़्त श्री कृष्ण अर्जुन के सार्थी की भूमिका में थे. उस वक़्त उपदेश देने का उनका मकसद भी यही रहा होगा की "एक इंसान ही दूसरे इंसान" का हौसला बढ़ाता है. मित्रों क्या इसी प्रकार क्योँ न हम भी अपनी जिंदगी में कमी बताने वालों को "भगवान का अवतार" मान लें और उन कमियों को दूर कर हंसी ख़ुशी और सुखपूर्ण जिंदगी जियें.

"सोच को बदलो सितारे बदल जायेंगे,
नज़र को बदलो नज़ारे बदल जायेंगे."

नहीं तो मित्रों एक बात हम सब सोचें "कौन है भगवान, कहाँ हैं भगवान, कैसे दिखते हैं भगवान, कहाँ दिखे भगवान, किसको दिखे भगवान ????" ये बहुत सारे प्रश्न हैं जो हमेशा हम इंसानी मन को व्यथित करते रहते हैं.

इसलिए मित्रों क्या अपनी जिंदगी में "कमी बताने वाले ही कहीं अप्रत्यक्ष रूप से भगवान के भेजे हुए लोग" तो नहीं.
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सोचिये जब हम लोग कुछ बन जाते हैं तो क्या हम अपने माता पिता, गुरुजनों या अन्य दूसरे लोगों को धन्यवाद नहीं करते "जिन्होंने भी हमें वक़्त बेवक़्त हमारा कुछ भी मार्गदर्शन किया हो या हमारी कमियाँ बताई हो."
(सोचिये सोचिये - उस वक़्त जब कोई हमें हमारी कमी बता रहा होता है तो "उस समय" हमारी कमी बताने वाले के लिए हमारे मन में कई बार गुस्सा भी आता है और यहाँ तक की बहुत बार तो हम बहस, झगड़ा और गाली गलोच भी कर बैठते हैं, पर जब हम कुछ बन जाते हैं तो फिर हम सोचते हैं की "हाँ अच्छा हुआ उस बन्दे ने उस वक़्त हमें हमारी कमी बता दी थी, जिसको हमने उसके बाद ठीक भी कर लिया" और उसी वजह से हम आज की तारीख में इस position में हैं, पर क्या हम पुराना रिश्ता वापस ला पाते हैं, ये एक सोच का विषय है.)

मित्रों मान कर चलिए तारीफ करने वाले हमारे साथ तो चलते हैं पर सोच कर देखिये "कमी निकालने वालों की वजह से ही हम अपनी जिंदगी में बढ़ते है".

इसलिए मित्रों जब कभी भी कोई हमारी जिंदगी में हमारी कमी निकलने वाला आये तो हमें प्रेम पूर्वक "अपनी कमियां सुननी चाहिए" और फिर "उस पर अमल करते हुए अपने को निखारना चाहिए."

कुछ करना है, तो डटकर चल,
थोड़ा दुनियां से हटकर चल,
लीक पर तो सभी चल लेते है,
कभी इतिहास को पलटकर चल,
बिना काम के मुकाम कैसा ?
बिना मेहनत के, दाम कैसा ? 
जब तक ना हासिल हो मंज़िल,
तो राह में, राही आराम कैसा ? 
अर्जुन सा निशाना रख मन में,
ना कोई बहाना रख ! 
लक्ष्य सामने है,
बस उसी पे अपना ठिकाना रख !! 
सोच मत, साकार कर,
अपने कर्मो से प्यार कर ! 
मिलेगा तेरी मेहनत का फल,
किसी और का ना इंतज़ार कर !! 
जो चले थे अकेले,
उनके पीछे आज मेले है ... 
जो करते रहे इंतज़ार,
उनकी जिंदगी में आज भी झमेले है।।

जय हिन्द
जय भारत


जरुर पढ़ें :-

साभारः Self Motivation

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8 June 2016

संघर्ष ही जीवन है - Inspirational Post in Hindi

संघर्ष ही जीवन है - Inspirational Post in Hindi

Sanghrsh Hi Jeevan Hai - Prernadayk Post Hindi Me

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गिद्धों का एक झुण्ड खाने की तलाश में भटक रहा था।

उड़ते – उड़ते वे एक टापू पे पहुँच गए। वो जगह उनके लिए स्वर्ग के समान थी। हर तरफ खाने के लिए मेंढक, मछलियाँ और समुद्री जीव मौजूद थे और इससे भी बड़ी बात ये थी कि वहां इन गिद्धों का शिकार करने वाला कोई जंगली जानवर नहीं था और वे बिना किसी भय के वहां रह सकते थे।


युवा गिद्ध कुछ ज्यादा ही उत्साहित थे, उनमे से एक बोला, ” वाह ! मजा आ गया, अब तो मैं यहाँ से कहीं नहीं जाने वाला, यहाँ तो बिना किसी मेहनत के ही हमें बैठे -बैठे खाने को मिल रहा है!”


बाकी गिद्ध भी उसकी हाँ में हाँ मिला ख़ुशी से झूमने लगे।


सबके दिन मौज -मस्ती में बीत रहे थे लेकिन झुण्ड का सबसे बूढ़ा गिद्ध इससे खुश नहीं था।



एक दिन अपनी चिंता जाहिर करते हुए वो बोला, ” भाइयों, हम गिद्ध हैं, हमें हमारी ऊँची उड़ान और अचूक वार करने की ताकत के लिए जाना जाता है। पर जबसे हम यहाँ आये हैं हर कोई आराम तलब हो गया है …ऊँची उड़ान तो दूर ज्यादातर गिद्ध तो कई महीनो से उड़े तक नहीं हैं…और आसानी से मिलने वाले भोजन की वजह से अब हम सब शिकार करना भी भूल रहे हैं … ये हमारे भविष्य के लिए अच्छा नहीं है …मैंने फैसला किया है कि मैं इस टापू को छोड़ वापस उन पुराने जंगलो में लौट जाऊँगा …अगर मेरे साथ कोई चलना चाहे तो चल सकता है !”


बूढ़े गिद्ध की बात सुन बाकी गिद्ध हंसने लगे। किसी ने उसे पागल कहा तो कोई उसे मूर्ख की उपाधि देने लगा। बेचारा बूढ़ा गिद्ध अकेले ही वापस लौट गया।


समय बीता, कुछ वर्षों बाद बूढ़े गिद्ध ने सोचा, ” ना जाने मैं अब कितने दिन जीवित रहूँ, क्यों न एक बार चल कर अपने पुराने साथियों से मिल लिया जाए!”


लम्बी यात्रा के बाद जब वो टापू पे पहुंचा तो वहां का दृश्य भयावह था।


ज्यादातर गिद्ध मारे जा चुके थे और जो बचे थे वे बुरी तरह घायल थे।


“ये कैसे हो गया ?”, बूढ़े गिद्ध ने पूछा।


कराहते हुए एक घायल गिद्ध बोला, “हमे क्षमा कीजियेगा, हमने आपकी बातों को गंभीरता से नहीं लिया और आपका मजाक तक उड़ाया … दरअसल, आपके जाने के कुछ महीनो बाद एक बड़ी सी जहाज इस टापू पे आई …और चीतों का एक दल यहाँ छोड़ गयी। चीतों ने पहले तो हम पर हमला नहीं किया, पर जैसे ही उन्हें पता चला कि हम सब न ऊँचा उड़ सकते हैं और न अपने पंजो से हमला कर सकते हैं…उन्होंने हमे खाना शुरू कर दिया। अब हमारी आबादी खत्म होने की कगार पर है .. बस हम जैसे कुछ घायल गिद्ध ही ज़िंदा बचे हैं !”


बूढ़ा गिद्ध उन्हें देखकर बस अफ़सोस कर सकता था, वो वापस जंगलों की तरफ उड़ चला।


दोस्तों, अगर हम अपनी किसी शक्ति का use नहीं करते तो धीरे-धीरे हम उसे lose कर देते हैं।


For instance, अगर हम अपने brain का use नहीं करते तो उसकी sharpness घटती जाती है, अगर हम अपनी muscles का use नही करते तो

उनकी ताकत घट जाती है… इसी तरह अगर हम अपनी skills को polish नहीं करते तो हमारी काम करने की efficiency कम होती जाती है!


तेजी से बदलती इस दुनिया में हमें खुद को बदलाव के लिए तैयार रखना चाहिए। पर बहुत बार हम अपनी current job या business में इतने comfortable हो जाते हैं कि बदलाव के बारे में सोचते ही नहीं और अपने अन्दर कोई नयी skills add नहीं करते, अपनी knowledge बढ़ाने के लिए कोई किताब नहीं पढ़ते कोई training program नहीं attend करते, यहाँ तक की हम उन चीजों में भी dull हो जाते हैं जिनकी वजह से कभी हमे जाना जाता था और फिर जब market conditions change होती हैं और हमारी नौकरी या बिज़नेस पे आंच आती है तो हम हालात को दोष देने लगते हैं।


ऐसा मत करिए…अपनी काबिलियत, अपनी ताकत को जिंदा रखिये…अपने कौशल, अपने हुनर को और तराशिये…उसपे धूल मत जमने दीजिये…और जब आप ऐसा करेंगे तो बड़ी से बड़ी मुसीबत आने पर भी आप ऊँची उड़ान भर पायेंगे!

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