भरोसा खुद पर रखो तो ताकत बन जाता है,
और
दूसरों पर रखो तो कमजोरी बन जाता है…
क्या हम अपने ऑफिस का काम अपने Boss के लिए करते हैं या अपने को निखारने या अपने विकास के लिए करते हैं ?
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एक बहुत ही महत्वपूर्ण प्रश्न हमारे सामने आता है :-
हम कभी कभी या बहुत बार, नहीं नहीं हर वक़्त यही सोचते रहते हैं कि अगर हम नौकरी में अपना 100% अपने ऑफिस को देंगे तो उससे तो employer बढ़ेगा, उसका फायदा होगा, पर हमें क्या मिलेगा क्योँकि हम तो सारा का सारा काम अपने employer के लिए कर रहे हैं.
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मित्रों यहाँ पर हम बहुत ही बड़ी गलती करते हैं, जैसे कि
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1. हम खाना खाते हैं - किसके लिए - अपने लिए.
2. हम पढ़ते हैं - किसके लिए - अपने लिए.
3. हम खेलते हैं - किसके लिए - अपने लिए.
4. हम सोते हैं - किसके लिए - अपने लिए.
5. हम सीखते हैं - किसके लिए - अपने लिए.
मित्रों अब एक बहुत ही महत्वपूर्ण प्रश्न उठता है कि जब हम सब कुछ अपने लिए करते हैं तो "हम नौकरी किसी और के लिए कैसे कर सकते हैं", ये बात कुछ समझ से परे है.
मित्रों मान कर चलिए "नौकरी हम किसी और के लिए नहीं अपितु अपने लिए" करते हैं.
एक बात हम सभी जानते हैं कि इंसान जिंदगी भर, मरते दम तक सीखता रहता है, क्योँ न हम भी नौकरी लगने के बाद यही मानें कि हम अपनी कंपनी में ट्रेनिंग कर रहे हैं और इस ट्रेनिंग के दौरान हमें सैलरी भी मिल रही है.
इससे सबसे बड़ा फायदा यह होगा ही हम हमेशा सीखने वाली स्थिति (Learning Mode) में रहेंगे और दिमाग में ये रखते हुए की employer हमें सीखाने के साथ साथ पैसे भी दे रहा है.
हम तो जिंदगी भर ये समझें कि employer ने हमें ट्रेनिंग के लिए एक महँगा ऑफिस या फैक्ट्री खोल कर दे रखी है, जिसे हम नहीं खोल सकते हैं, या हम risk नहीं ले सकते (मित्रों ये बात हमें स्वीकार करनी ही पड़ेगी).
मित्रों ये सोचना बिलकुल गलत है कि हम किसी और के लिए काम कर रहे हैं. ऐसा सोच कर हम अपनी progress को रोक लेते हैं क्योँकि हमारा दिमाग कहता है की हमारे करने से किसी दूसरे यानि employer का फायदा हो रहा है (मनुष्य का स्वभाव होता है की वह दूसरों को बढ़ते हुए नहीं देख सकता,चाहे हम बातें कुछ भी करते रहें) और इस सोच को लेकर हम जिस जगह होते हैं, उसी जगह रह जाते हैं.
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मित्रों ये बात हमेशा ध्यान रखिये कि जिस भी दिन हमारे मुँह से अपने employer के लिए नकारात्मक वाक्य आने शुरू हो जाते हैं उसी दिन से हमारे उस ऑफिस में काम सीखने की क्षमता कम होने लगती है और उसके बाद जितना ज्यादा समय तक हम उस ऑफिस में रहेंगे,
मान कर चलिए हम अपने साथ साथ, सबसे पहले अपनी पूरी फैमिली को भी नकारात्मक बनाएंगे और अपनी खुद की productivity को भी कम करते चले जायेंगे.
ये सोच कर कि Boss का विकास हो रहा है, "हम अपना विकास ठप्प कर रहे हैं". Boss तो आज नहीं तो कल, दूसरा employee रख लेगा, पर उतने समय जो हमने अपनी negative सोच रख कर पूरे मन से काम नहीं किया उसका भूकतान कौन करेगा, जरा सोचिये.
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हम कभी भी इस गलत फहमी में न रहें की हमारे उस ऑफिस या फैक्ट्री में काम न करने से employer का कुछ बिगड़ने वाला है.
अगर employer का कुछ बिगड़ेगा तो उनकी अपनी गलती से, न की हमारे काम न करने की वजह से, ये बात हमें हमेशा के लिए गाँठ बांध कर रखनी होगी.
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मित्रों अपने पर भरोसा रखो. जिंदगी में कोई ऐसा काम नहीं जो इंसान न कर सकता हों. अपनी नाकामी का ठिकड़ा दूसरों पर फोड़ने का मतलब है, अपने को इस दुनिया के सामने दीन हीन की दशा में लाना.
मित्रों, Never blame others for your failures.
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इसलिए मित्रों :
1. हम खाना भी अपने लिए खाते हैं.
2. हम पढ़ते भी अपने लिए हैं.
3. हम खेलते भी अपने लिए हैं.
4. हम सोते भी अपने लिए हैं.
5. हम सीखते भी अपने लिए हैं.
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और और और .....
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हम काम भी अपने लिए ही करते हैं, किसी और के लिए नहीं (ये बात हमेशा ध्यान रखिये).
किसी ने सही कहा है :
भरोसा खुद पर रखो तो ताकत बन जाती है,
और
दूसरों पर रखो तो कमजोरी बन जाती है…
जरुर पढ़ें :-
साभारः
Self Motivation
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