15 October 2015

सबसे बड़ा रोग, क्या कहेंगे लोग - Inspirational Story in Hindi !

नमस्कार दोस्तों,

                           "सबसे बड़ा रोग, क्या कहेंगे लोग" - ये सिर्फ एक वाक्य नहीं वल्कि एक वास्तविकता है. चलिए मान लेते हैं कि आप एक College's Student हैं. सीधी सी बात है आपसे सभी लोग सिर्फ पढाई के बारे में बात करेंगे और सोचेंगे कि भविष्य में ये या तो Doctor, Engineer, Teacher, Officer या फिर कोई और बड़ा अधिकारी बनेगा. अब मान लीजिये की आपको Painter बनना है क्योंकि की ये करना आपको पसंद है. लेकिन आप लोगो को ये नहीं बता सकते क्योंकि आप सोचेंगे कि वो क्या कहेंगे कि एक अच्छे घर का लड़का जो कि एक अच्छे कॉलेज में पढ़ रहा है वो कोई Officer न बन कर एक Painter बनना चाहता है.



अब मान लीजिये की आप किसी तरह किसी को बता भी देते हैं तो वे सबसे पहले सोचेंगे कि ये क्या कह रहा है फिर इस काम (Painting) से सम्बंधित आपको कमियां बताएँगे. वो आपको बताएँगे कि ये कितना छोटा काम है जो कुछ गिने चुने लोग करते हैं. और आप कोई Officer बनकर किस तरह अफसरशाही की जिन्दगी जी सकते हो.

अब बात ये रह जाती है कि आपका मन भी सोचने लगेगा की दुसरे क्षेत्र में risk क्यों लिया जाय जबकि हम जो कर रहे उसमे एक अच्छी जिन्दगी हो सकती है.

अब आप सोचो कि क्या आप Officer बनकर खुश रह पाओगे? हाँ आप दुनिया की नजर में एक अच्छे आदमी बन जाओगे लेकिन आप खुश नहीं रह पाओगे क्योंकि ये आपके interest area में नहीं है. आप अपने life से उब जाओगे और ये life आपको सिर्फ बोझ लगने लग जाएगी जिसे आप जी नहीं बिता रहे होगे.

तो आखिर क्या कारण है की हमने अपना पसंदीदा काम न करकर एक Officer बन गए. इसका मुख्य कारण था हमारा डर कि "लोग क्या कहेंगे" वो क्या सोचेंगे. और उन सब के कारण आपने अपनी जिन्दगी बर्बाद कर ली; एक ऐसे काम को कर रहे हैं जिसमे आपका कोई interest नहीं है.

उडान से संबधीत सभी नियमो के अनुसार मधुमखियो में उड़ने की क्षमता ही नहीं है, उनके पंख इतने छोटे हैं कि वो उनके भारी शरीर का वजन उठा ही नहीं सकते बावजूद इसके मधुमख्खिया उडती हैं क्योंकि, मधुमख्खियो को इस बात से कोई फरक नहीं पड़ता की इन्सान क्या सोचता हैं.

इस कहावत से यही बात सामने आती हैं कि मधुम्ख्खियो को या किसी भी जानवर को इस बात का कोई फर्क नहीं पड़ता कि उनके बारे मे इन्सान या कोई और क्या सोचते हैं, पर इन्सान की एक यही आदत सभी समस्याओ की जड़ हैं. हमारी सोच कि लोग क्या कहेगे, लोग क्या सोचेगे, उनको क्या लगेगा इसी सोच की वजह से हम कुछ भी खुलकर और Confidence के साथ नहीं कर पाते. क्योकि हम कोई भी काम करने से पहले दस बार लोगों के बारे में सोचते हैं और अगर हम कोई काम करेगे और इसमें हम कामयाब नहीं हो पाये तो मेरे दोस्त, रिश्तेदार, पडोसी, मेरे पहचानवाले मेरे बारे मे क्या सोचेगे इस डर की वजह से हम कोई भी काम करने से कतराते हैं. लेकिन जिंदगी मैं अगर कुछ बड़ा काम करना है तो लोगो के बारे मैं सोचना छोड़ देना होगा.

चलिए एक छोटी कहानी पढ़ते हैं >

एक दिन एक आदमी Morning Walk को गया तभी उसने एक गली में एक लड़के को कचरा उठाते हुये देखा वहां के दो-चार कुत्ते उस पर भौंक रहे थे उस आदमी ने उस लड्के की एक बात गौर की कि वो भौंकते हुये कुत्तो को देखकर उस लड़के के चेहरे पर न कोई डर था और न हीं उस लड़के का उन कुत्तो पर कोई ध्यान था वह लड़का बस अपना कचरा उठाने का काम कर रहा था. वो लड़का वहां से दूसरी गली में गया तो दूसरी गली के कुत्ते भी उसे देखकर भौकने लगे वहां पर भी उस लड़के ने कुत्तो की तरफ ध्यान न देकर अपना कचरा उठाने के काम को करता रहा. उस लड़के ने कचरा उठाकर दो-चार सौ रूपये कमा लिये और भौंकने वाले भौंकते रहे गये.

तो दोस्तों, यहीं सोच हम हमारी जिंदगी में अपनाये तो हम कभी पिछे नहीं रहगे. और हम अपना काम लोगो की सोच को ध्यान में रखकर नहीं करेंगे तो उसे सही तरीके से करेंगे.

वो कहावत हैं न ”सुनो सब की करो मन की ”

तो अब आप क्या सोचते हैं आप Painter बनना पसंद करोगे या Officer ? मैं सोचता हूँ कि आप जरुर Painter बनना चाहोगे क्योंकि यही वो काम है जिसे करने के लिए आप इस दुनिया में आये हो. और लोगों का क्या है ये तब भी आपको रोकेंगे जब आप कोई अच्छा काम करते रहोगे क्योकि इनका काम ही है कहना. और आप किसी भी सफल आदमी का उदाहरण लेकर देख लो क्या उन्होंने लोगों की बात सुनी या अपने दिल की ? वास्तव में अपनी दिल की क्योंकि अगर वो लोगों के अनुसार काम कर रहे होते तो आज उन्हें कोई नहीं जानता.

एक और नजदीकी उदहारण लेते हैं - "महेंद्रसिंह धोनी" इन्हें कौन नहीं जानता ! भारतीय क्रिकेट के सफलतम कप्तान तथा एक अच्छे Match Finisher के रूप में प्रसिद्ध हैं. India vs SA का पहला One Day मैच लेकिन उसमे धोनी का बल्ला नहीं चला; चारों तरफ लोग उनकी आलोचना कर रहे थे अब पता नहीं उन्हें इस बात से कोई फर्क पड़ा या नहीं, लोग तो यहाँ तक कह रहे थे कि अब उन्हें टीम से बाहर हो जाना चाहिए. फिर India vs SA का दूसरा One Day मैच जिसके जितने के एक मात्र कारण धोनी थे. अब वहीँ लोग जो उनकी आलोचना करते हुए नहीं थक रहे थे अब उनकी बड़ाई करते हुए नहीं थक रहे हैं. (Mostly on the Social Media)

इससे हमें सीख मिली की जब आप अच्छा करोगे तब भी आपको लोग कहेंगे और जब आपसे कुछ गलत हो जायेगा तब भी आपको कुछ कहेंगे. क्योंकि उनका काम ही है कहना. बस आप अपना काम करते जाओ वशर्ते आपको ये मालूम होना चाहिए कि आप अच्छा कर रहे हैं.

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