20 February 2016

क्या मैं इस दुनिया में खुश "न" रहने के लिए आया हूँ? Must Read Post in Hindi

क्या मैं इस दुनिया में खुश "न" रहने के लिए आया हूँ? Must Read Post in Hindi


1. "क्या मैं इस दुनिया में खुश "न" रहने के लिए आया हूँ" ?

2. ये सोचते हुए काम करूँ कि किस-किस के प्रति मेरी क्या-क्या जिम्मेदारी है ना की दूसरे को खुश रखने के लिए ?
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Inspirational Post In Hindi

क्या मैं इस दुनिया में खुश "न" रहने के लिए आया हूँ? Must Read Post in Hindi

हम हमेशा दूसरों को खुश रखने की कोशिश करते रहते हैं और उस चक्कर में न तो दूसरा व्यक्ति पूरी तरह खुश हो पाता हैं और न ही हम. आप चाहे अपनों के लिए या दूसरों के लिए कितना भी कर लें दूसरा व्यक्ति कभी भी पूर्ण रूप से खुश नहीं रह सकता।

एक उदाहरण लेते हैं :-


मैं अपने माता पिता, Wife, बच्चों, दोस्त, पड़ोसी सभी को खुश रखने के लिए उन लोगों की सारी बात मानता हूँ.
पर कुछ समय बाद मैंने देखा की सबको खुश करते करते शायद मेरे अंदर का इंसान कहीं ख़त्म होता जा रहा है और उससे भी बड़ी बात कोई भी मुझसे पूरी तरह से खुश नहीं है. 

देखते हैं कैसे :-


1) जैसे ही मैंने अपने माता पिता के लिए कुछ किया तो मेरी पत्नी ये सोचने लगी की मैं सब कुछ उनके लिए ही करता हूँ.

2) जैसे ही मैंने अपनी पत्नी और बच्चों के लिए कुछ किया तो मेरे माता पिता ये सोचने लगे की मैं सब उनके लिए ही करता हूँ.

3) जैसे ही मैंने अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के लिए कुछ किया तो माता पिता, पत्नी और बच्चे सोचने लगे की मैं सब कुछ उनके लिए ही करता हूँ. 

4) दोस्तों, रिश्तेदारों की मदद नहीं की तो वो कहने लगे कि भाई तू तो अब अपना है ही नहीं.

तो मित्रों सोचो सबके लिए सबकुछ करने के बावजूद कौन मुझसे खुश हुआ, देखा जाये तो कोई भी नहीं.

इसके बाद मैंने ये तय किया की मैं आज के बाद कोई भी काम किसी को खुश करने की नियत से नहीं करूँगा और ये सोचते हुए काम करूँगा की किस किस के प्रति मेरी क्या क्या जिम्मेदारी है.

मेरे उस काम से दूसरा खुश हो रहा है तो ठीक और नहीं हो रहा है तो ठीक, कम से कम मन से मैं तो खुश हो रहा हूँ सभी के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभा कर. दूसरे की अपेक्षाएं तो हमसे मरते दम तक कभी भी खत्म नहीं होंगी.

अगर मैं ये सोचूंगा कि पहले दूसरा खुश रहे तो मैं जिंदगी भर उनकी Expectation पर खरा नहीं उतर पाउँगा और मैं खुद ये सोच-सोच कर कि दूसरा तो खुश दिख ही नहीं रहा है, इस चक्कर में कभी भी खुश नहीं रह पाउँगा.

मेरी तो पूरी की पूरी जिंदगी ऐसे ही गुजर जाएगी.

"क्या मैं इस दुनिया में "खुश न" रहने के लिए आया हूँ" ??? एक बहुत ही गहन और चिंतन वाला सवाल आप लोगों के लिए ???

मित्रों ध्यान रहे 

(1) "अगर मैं ही खुश न रह पाऊं" - तो मेरे द्वारा किये हुए कोई भी कार्य हो तो रहे होंगे पर सफल नहीं होंगे...

दूसरी तरफ

(2) "अगर मैं खुश रहूँ" - तो मेरे द्वारा किये हुए कोई भी कार्य कम होने के बावजूद सफल हो जायेंगे. 

ये बात सबसे महत्वपूर्ण है, ध्यान रहे.

ये ताकत है पहले अपने को खुश रखते हुए किये हुए कार्य की......

मित्रों,
सोच को बदलो, सितारे बदल जायेंगे,
नज़र को बदलो नज़ारे बदल जायेंगे,
ऐ इंसान,
एक बार अपनी जीभ को तो बदलो, हम सारे के सारे बदल जायेंगे.

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साभारः Self Motivation

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