फैसला - Motivational Story In Hindi !
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फैसला - Motivational Story In Hindi ! |
नमस्कार दोस्तों, जिंदगी के इस सफ़र में कुछ ऐसे पल आते हैं जब हमें कुछ महत्वपूर्ण फैसले लेने होते हैं और हम इसमें जल्दबाजी कर बैठते हैं बिना इसके परिणाम के बारे में सोचकर. और फिर हमें अपने किये हुए फैसले पर अफ़सोस करने के अलावे कुछ नहीं रह जाता.
अगर आप भी कोई फैसला जल्दबाजी में लेते हैं तो, जरा रुकिए ! सोचिये ! और तब अपने महत्वपूर्ण फैसले का निर्णय कीजिये.
हमारे जिन्दगी का सबसे महत्वपूर्ण फैसला होता है हमारे Career का फैसला. हम सभी ऐसे मोड़ पर आ ही जाते हैं जब हमें सोचना होता है कि आगे क्या करना है, अपनी Life को किस ओर ले जाना है, या इसे ऐसे हीं कटी पतंग के जैसे छोड़ देना है ताकि ये इधर उधर भटकते रहे. मुझे विश्वास है कि आप अपने Life के साथ कुछ अच्छा करना चाहते होंगे और इसके लिए जरुरी है सही फैसला लेना.
आइये पढ़ते हैं एक Motivational Hindi Story with Moral !
एक पहलवान जैसा हट्टा-कट्टा, लंबा-चौड़ा व्यक्ति सामान लेकर किसी शहर के स्टेशन पर उतरा. उसने एक टैक्सी वाले से कहा कि मुझे शिवजी के मंदिर जाना है, जो इस शहर में सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है. टैक्सी वाले ने कहा- 200 रुपये लगेंगे. उस पहलवान आदमी ने पहले तो उसे मनाया, लेकिन जब वह नहीं माना, तो अपनी बुद्धिमानी दिखाते हुए कहा- इतने पास में है मंदिर. मुझे उल्लू समझते हो? इतनी-सी दूर जाने के दो सौ रुपये कोई लेता है भला? आप टैक्सी वाले लोग तो लूट रहे हो आजकल. रहने दो, मैं अपना सामान खुद ही उठा कर चला जाऊंगा. इतना कह कर वह चल दिया.
वह व्यक्ति काफी दूर तक सामान लेकर चलता रहा. वह बहुत थक भी गया था. कुछ देर बाद फिर से उसे वही टैक्सी वाला दिखा, अब उस आदमी ने फिर टैक्सी वाले से पूछा- भैया, अब तो मैंने आधा से ज्यादा दूरी तय कर ली है, तो अब आप कितना रुपये लेंगे?
टैक्सी वाले ने जवाब दिया- 400 रुपये. उस आदमी ने फिर कहा- पहले दो सौ रुपये, अब चार सौ रुपये, ऐसा क्यों?
टैक्सी वाले ने जवाब दिया- महोदय, इतनी देर से आप शिव मंदिर की विपरीत दिशा में दौड़ लगा रहे हैं, जबकि शिव मंदिर तो दूसरी तरफ है. उस पहलवान व्यक्ति ने कुछ भी नहीं कहा और चुपचाप टैक्सी में बैठ गया.
इस पहलवान की तरह ही जिंदगी में कई बार हम किसी चीज को बिना गंभीरता से सोचे सीधे काम शुरू कर देते हैं और फिर अपनी मेहनत और समय को बरबाद कर उस काम को आधा ही करके छोड़ देते हैं. इसलिए बेहतर है कि किसी भी काम को हाथ में लेने से पहले हम पूरी तरह सोच विचार लें कि हम जो कर रहे हैं, वह हमारे लक्ष्य का हिस्सा है या नहीं?
एक बात हमेशा याद रखें कि दिशा सही होने पर ही मेहनत पूरी रंग लाती है और यदि दिशा ही गलत हो, तो आप कितनी भी मेहनत कर लो, कोई लाभ नहीं मिल पायेगा. इसलिए दिशा तय करें और आगे बढ़ें. कामयाबी आपका हाथ जरुर थामेगा.
अगर हम विद्यार्थी जीवन की बात करें तो कई छात्र कोई Subject बिना सोचे समझे इस लिए चुन लेते हैं क्योंकि उनका कोई दोस्त Same Subject चुना होता है. वो ये नहीं सोचते की हमारा इसमें Interest है या नहीं और बाद में वो हीं Subject जब समझ से बाहर हो जाता तो उनके पास पछतावा के सिवा कुछ नहीं रह जाता.
इस Hindi Story से हमें यहीं सिख मिलती है कि बिना सोच समझकर किया गया काम हमें सिर्फ और सिर्फ हानि पहुंचाता है.
अतः अंत में मैं यहीं कहना चाहूँगा कि कोई काम भी शुरू करने से पहले इसके बारे में गंभीरता से सोचें, कदम उठाने से पहले इसके बारे में सही गलत अच्छी तरह से जांच लें.
सही समय पर सोचकर लिया गया सही फैसला हमें सफल बनाता है !
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