27 November 2015

Moral Hindi Story: कुछ तो लोग कहेंगे !


Moral Hindi Story: कुछ तो लोग कहेंगे !


नमस्कार दोस्तों, जैसा कि हमने पिछली Post"सबसे बड़ा रोग क्या कहेंगे लोग - Inspirational Story in Hindi !" में जिक्र किया था कि आप जो कर हैं या करना चाहते हैं उसमे दुनिया को हस्तक्षेप न करने दें. ये आपका काम है और इसे अपने अनुसार करें न कि दुनिया के अनुसार. अगर आप इसे अपनी इच्छानुसार करेंगे तभी इसे Perfect कर पाएंगे. लोगों का क्या है वो तो तब भी कहेंगे जब आप कुछ अच्छा कर रहे होंगे क्योंकि "कुछ तो लोग कहेंगे"

सच ये है कि वे लोग जो खुद अपनी जिंदगी के साथ कुछ अच्छा नहीं कर रहे होते हैं वो सिर्फ दुसरे में कमियां निकालने में लगे रहते हैं. इसके विपरीत जो व्यक्ति सफल हैं या अपनी जिन्दगी के साथ कुछ अच्छा कर रहे होते हैं वो दूसरों को Encourage करते हैं, उनका उत्साह बढ़ाते हैं और इसे दिल से करने के लिए प्रेरित करते हैं न कि दुनिया को दिखाने के लिए.

निष्कर्ष यहाँ पर ये निकलता है कि जब हम अपनी जिंदगी में कोई बदलाब करते हैं तो सभी लोग जो हमसे परिचित होते हैं कुछ न कुछ कहते हैं. कुछ लोग हमारे उत्साह बढाने के लिए कहते हैं जबकि कुछ लोग उत्साह घटाने के लिए.

अब सवाल ये रह जाता है कि उनकी बातों में आकर अपना फैसला बदल लेते हैं या उनसे प्रेरित होकर अपने काम को पुरे दिल के साथ करते हैं?

इसे बताने कि जरुरत नहीं कि जो लोग दुनिया से अलग अपने आप को ज्यादा महत्व दिए तथा लोगों से प्रेरित होकर अपना काम किये वो आज उन लोगों कि अपेक्षा ज्यादा Successful हैं जो दुनिया की बातों में आकर अपना फैसला बदल लिए.

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एक किसान और उसका बेटा उनके गधे को अपने गाँव से बाहर दूसरी जगह बेचने ले जा रहे थे. शुरुआत में वो दोनों पैदल चल रहे थे और गधा उनके साथ में चल रहा था. वो देखकर एक आदमी ने उसे बेटे को गधे पर बैठाने की सलाह दी. उस आदमी के कहे अनुसार उस किसान ने अपने बेटे को गधे पर बैठा दिया तथा खुद उसके साथ पैदल चलने लगा. कुछ दुरी तय करने के बाद एक और आदमी से उसकी मुलाकात हुई जो बेटे की आलोचना करते हुए कहा कि खुद हट्टा कट्ठा होकर गधे पर बैठे हुए हो और अपने बूढ़े बाप को पैदल चलवा रहे हो. लड़का ये सुनकर शर्मिंदा हो गया और गधे से उतरकर अपने पिता को गधे पर बैठाकर आगे का सफ़र शुरू किया.

इसी तरह और थोडा सफर करने के बाद उन्हें तीसरा आदमी मिला. उसने कहा की “लडके की चिन्ता न करके खुद गधे की तरह गधे पर बैठा है” वो आदमी किसान को गुस्से से बोला. उस किसान को भी बुरा लगा और वो गधे से निचे उतर गया. अब आगे क्या करना इसी सोच में वो रास्ते के किनारे में स्थित पेड़ के निचे बैठा. तभी वहां एक और आदमी आया. उस चौथे आदमी को अभी तक का अपना अनुभव बता कर आगे क्या करे इस विषय में किसान ने सलाह मांगी. इस पर उस चौथे आदमी ने बड़ी आसानी से किसान और उसके बेटे दोनों को गधे पर बैठ कर सफर करने की सलाह दी.

उसके बाद वो सफर पर चल पडे. कुछ समय के बाद उन्हें एक और आदमी मिला और उसने कहा “बाप - बेटा दोनों के गधे पर बैठने की वजह से उस गधे का क्या हाल हो रहा होगा” उस आदमी ने भी अपनी एक अलग सोच किसान के सामने रखी. एक बार फिर से किसान को बुरा लगा और वो पुनः अपने गधे के साथ दोनों पैदल चलने लगे.

इस कहानी से हमें यही सिख मिलती है कि अगर हम दुनिया के बातों में आकर युहीं फैसले बदलते रहेंगे तो कभी भी अपनी मंजिल तक नहीं पहुँच पाएंगे, और अगर पहुँच भी गए तो हमें भी वहीँ मिलेगा जो आज तक लोगों को मिलता आया है, यानि कुछ भी अलग नहीं.

हमारे पास इस सुन्दर जीवन का सिर्फ एक ही मौका होता है और इसे भी दुसरे के अनुसार जीने में व्यर्थ कर देंगे तो धरती पर हमारा जीने का मकसद बेकार जायेगा.

अतः दोस्तों मैं आपलोगों से यही कहना चाहूँगा कि वास्तव में आप इस दुनिया में कुछ अलग करना चाहते हैं तो सिर्फ और सिर्फ अपने दिल के सुनें. क्योंकि आप कभी भी अपने आप को धोखा नहीं दे सकते.

वो कहते हैं न सुनो सबकी, करो मन की.

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