8 October 2015

नकारात्मकता से दूर - Inspirational Story in Hindi !

नमस्कार दोस्तों,

                        नकारात्मकता से दूर- Inspirational Story in Hindi ! ये life दोनों तरह के लोगों ( Positive और Negative ) से भरी पड़ी है. अब हम पर ये निर्भर करता है कि हम किनके साथ रहना चाहते हैं और उनसे सीखना चाहते हैं. प्रकृति का ये नियम है कि आप जैसे लोगों के साथ रहोगे आपके मन में वैसा ही विचार आएगा. और परिणामस्वरूप आप वैसा ही बन जाओगे.



ऐसा भी नहीं की हम अपने आप को पूरी तरह Negative से दूर कर सकते हैं क्योंकि हम एक सामाजिक प्राणी हैं जो एक दुसरे के साथ मिल जुलकर रहना जानते हैं. इस परिस्थिति में हम कैसे Positive को अपना सकते हैं. पहला तो आप बाहर के लोगों से Positive या Negative बनते हो. तथा दूसरा आप अपने अन्दर के environment के कारण, यानि कि आप जैसा अपने बारे में सोचोगे वैसा बनोगे.




आइये पढ़ते हैं गौतम बुद्ध की प्रेरणादायक कहानी >

एक बार गौतम बुद्ध किसी गांव से गुजर रहे थे. उस गांव के लोगों की गौतम बुद्ध के बारे में गलत धारणा थी जिस कारण वे बुद्ध को अपना दुश्मन मानते थे. जब गौतम बुद्ध गांव में आए तो गांव वालों ने बुद्ध को भला-बुरा कहा और बददुआएं देने लगे. गौतम बुद्ध गांव वालों की बातें शांति से सुनते रहे और जब गांव वाले बोलते-बोलते थक गए तो बुद्ध ने कहा, ‘‘अगर आप सभी की बातें समाप्त हो गई हों तो मैं प्रस्थान करूं.’’

बुद्ध की बात सुन कर गांव वालों को आश्चर्य हुआ. उनमें से एक व्यक्ति ने कहा, ‘‘हमने तुम्हारी तारीफ नहीं की है. हम तुम्हें बददुआएं दे रहे हैं. क्या तुम्हें कोई फर्क नहीं पड़ता?’’

बुद्ध ने कहा, ‘‘जाओ मैं आपकी गालियां नहीं लेता. आपके द्वारा गालियां देने से क्या होता है. जब तक मैं गालियां स्वीकार नहीं करता इसका कोई परिणाम नहीं होगा. कुछ दिन पहले एक व्यक्ति ने मुझे कुछ उपहार दिया था लेकिन मैंने उस उपहार को लेने से मना कर दिया तो वह व्यक्ति उपहार को वापस ले गया. जब मैं लूंगा ही नहीं तो कोई मुझे कैसे दे पाएगा.’’

बुद्ध ने बड़ी विनम्रता से पूछा, ‘‘अगर मैंने उपहार नहीं लिया तो उपहार देने वाले व्यक्ति ने क्या किया होगा.’’

भीड़ में से किसी ने कहा, ‘‘उस उपहार को व्यक्ति ने अपने पास रख लिया होगा.’’

बुद्ध ने कहा, ‘‘मुझे आप सब पर बड़ी दया आती है क्योंकि मैं आपकी इन गालियों को लेने में असमर्थ हूं और इसीलिए आपकी ये गालियां आपके पास ही रह गई हैं.’’

भगवान गौतम बुद्ध के जीवन की यह छोटी-सी कहानी हमारे जीवन में एक बड़ा बदलाव ला सकती है क्योंकि हम में से ज्यादातर लोग यही समझते हैं कि हमारे दुखों का कारण दूसरे व्यक्ति हैं. हमारी परेशानियों या दुखों की वजह कोई अन्य व्यक्ति नहीं हो सकता और अगर हम ऐसा मानते हैं कि हमारी परेशानियों की वजह कोई अन्य व्यक्ति है तो हम अपनी स्वयं पर नियंत्रण की कमी एवं भावनात्मक अक्षमता को अनदेखा करते हैं. यह हम पर निर्भर करता है कि हम दूसरों के द्वारा प्रदान की गई नकारात्मकता को स्वीकार करते हैं या नहीं. अगर हम नकारात्मकता को स्वीकार करते हैं तो हम स्वयं के पैर पर कुल्हाड़ी मारते हैं.

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आपका दोस्त
प्रकाश कुमार निराला