आज मै आप सभी को वसंत पंचमी अर्थात सरस्वती पूजा के बारे में बताने जा रहा हूँ। जैसा की आप सभी जानते हैं कि इस वर्ष "24 जनवरी 2015, शनिवार" को यह पावन पर्व है, आप सभी काफी उत्साहित होंगे इस पर्व को लेकर। यही कारण है कि आज मै आप लोगो को इसके विशेषताओं के बारे में बताने जा रहा हूँ।
वसंत पंचमी एक भारतीय त्योहार है, इस दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। यह पूजा पूर्वी भारत में बड़े उल्लास से मनायी जाती है। इस दिन स्त्रियाँ पीले वस्त्र धारण करती हैं।
प्राचीन भारत में पूरे साल को जिन छह मौसमों में बाँटा जाता था उनमें वसंत लोगों का सबसे मनचाहा मौसम था। जब फूलों पर बहार आ जाती, खेतों मे सरसों का सोना चमकने लगता, जौ और गेहूँ की बालियाँ खिलने लगतीं, आमों के पेड़ों पर बौर आ जाता और हर तरफ़ रंग-बिरंगी तितलियाँ मँडराने लगतीं। वसंत ऋतु का स्वागत करने के लिए माघ महीने के पाँचवे दिन एक बड़ा जश्न मनाया जाता था जिसमें विष्णु और कामदेव की पूजा होती, यह वसंत पंचमी का त्यौहार कहलाता था।
बसंत पंचमी धार्मिक एवं नई ऋतु आने का पर्व है। माघ मास के बीस दिन व्यतीत होते-होते शीत का प्रकोप काफी कम हो जाता है और शिशिर के पश्चात ऋतुराज बसन्त का आगमन होने लगता है। यद्यपि पेड़ों पर नये पत्ते और बसन्त ऋतु तो चैत्र-वैशाख में ही आती है, परन्तु बसन्त ऋतु के स्वागत में यह त्योहार मनाया जाता है। इसके साथ ही इसका बहुत अधिक धार्मिक महत्व भी है। आज भगवान विष्णु और मातेश्वरी सरस्वतीजी की पूजा तो की ही जाती है कामदेव तथा उनकी पत्नी रति की पूजा का भी विशिष्ट विधान है।
आज विद्या और कला की अधिष्ठात्री देवी सरस्वतीजी का जन्म दिवस है। यही कारण है कि नवरात्रों में दुर्गा पूजा के समान ही आज बड़ी धूमधाम से वीणा वादिनी सरस्वतीजी की पूजा की जाती है। सरस्वती पूजन के लिए एक दिन पूर्व से ही नियमपूर्वक रहकर, दूसरे दिन नित्य कर्मों से निवृत्त होकर कलश स्थापित करें। सर्वप्रथम गणेश, सूर्य, विष्णु, शंकर आदि भगवान की पूजा करके सरस्वतीजी का पूजन करना चाहिए।
सरस्वतीजी की पूजा में पीले रंग की वस्तुओं और फूलों के प्रयोग का विशिष्ट महत्व है। देवी के सामने पुस्तक रखकर दक्षिणा अर्पित कर आरती उतारी जाये और वासंती वस्त्र पहने जाएं। रेवड़ियों, केलों, किसोर इत्यादि का भोग लगाया जाये। मीठे केसरिया चावल बनाये जाएं। भगवान की मूर्ति तथा देवी सरस्वती की प्रतिमा को केसरिया रंग के वस्त्र पहनाने चाहिए।
वसंत ऋतु आते ही प्रकृति का कण-कण खिल उठता है। मानव तो क्या पशु-पक्षी तक उल्लास से भर जाते हैं। हर दिन नयी उमंग से सूर्योदय होता है और नयी चेतना प्रदान कर अगले दिन फिर आने का आश्वासन देकर चला जाता है। यों तो माघ का यह पूरा मास ही उत्साह देने वाला है, पर वसंत पंचमी (माघ शुक्ल 5) का पर्व भारतीय जनजीवन को अनेक तरह से प्रभावित करता है। प्राचीनकाल से इसे ज्ञान और कला की देवी मां सरस्वती का जन्मदिवस माना जाता है। जो शिक्षाविद भारत और भारतीयता से प्रेम करते हैं, वे इस दिन मां शारदे की पूजा कर उनसे और अधिक ज्ञानवान होने की प्रार्थना करते हैं। कलाकारों का तो कहना ही क्या? जो महत्व सैनिकों के लिए अपने शस्त्रों और विजयादशमी का है, जो विद्वानों के लिए अपनी पुस्तकों और व्यास पूर्णिमा का है, जो व्यापारियों के लिए अपने तराजू, बाट, बहीखातों और दीपावली का है, वही महत्व कलाकारों के लिए वसंत पंचमी का है। चाहे वे कवि हों या लेखक, गायक हों या वादक, नाटककार हों या नृत्यकार, सब दिन का प्रारम्भ अपने उपकरणों की पूजा और मां सरस्वती की वंदना से करते हैं।
सृष्टि के प्रारंभिक काल में भगवान विष्णु की आज्ञा से ब्रह्मा ने जीवों, खासतौर पर मनुष्य योनि की रचना की। अपनी सर्जना से वे संतुष्ट नहीं थे। उन्हें लगता था कि कुछ कमी रह गई है जिसके कारण चारों आ॓र मौन छाया रहता है। विष्णु से अनुमति लेकर ब्रह्मा ने अपने कमण्डल से जल छिड़का, पृथ्वी पर जलकण बिखरते ही उसमें कंपन होने लगा। इसके बाद वृक्षों के बीच से एक अद्भुत शक्ति का प्राकट्य हुआ। यह प्राकट्य एक चतुर्भुजी सुंदर स्त्री का था जिसके एक हाथ में वीणा तथा दूसरा हाथ वर मुद्रा में था। अन्य दोनों हाथों में पुस्तक एवं माला थी। ब्रह्मा ने देवी से वीणा बजाने का अनुरोध किया। जैसे ही देवी ने वीणा का मधुरनाद किया, संसार के समस्त जीव-जन्तुओं को वाणी प्राप्त हो गई। जलधारा में कोलाहल व्याप्त हो गया। पवन चलने से सरसराहट होने लगी। तब ब्रह्मा ने उस देवी को वाणी की देवी सरस्वती कहा। सरस्वती को बागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी और वाग्देवी सहित अनेक नामों से पूजा जाता है। ये विद्या और बुद्धि प्रदाता हैं। संगीत की उत्पत्ति करने के कारण ये संगीत की देवी भी हैं। बसन्त पंचमी के दिन को इनके जन्मोत्सव के रूप में भी मनाते हैं।
इस प्रकार देवी सरस्वती की पूजा कीजिये और अपने ज्ञान में निरंतर बढ़ाते रहिये।
आशा है आपको ये Post जरुर पसंद आयी होगी, धन्यवाद ! आपका दिन मंगलमय हो !
.......प्रकाश कुमार निराला
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